हमारे भारत देश एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ की हर धर्म और सम्प्रदाय के लोग आपस में मिलजुलकर रहते है यहाँ हर धर्म के लोगो को अपना रीती रिवाज मानने का पूरा अधिकार दिया गया है वही बात करें हिन्दू धर्म की तो हिन्दू धर्म में कई सारे रीती रिवाज प्रचलित है और हिन्दू धर्म में विवाह को सोलह संस्कारों में से एक संस्कार माना गया है और इसे हिन्दू धर्म के लोग पूरे रीती रिवाज के साथ पूरा करते है |कहते है इस दुनिया में शादी का बंधन सबसे पवित्र बंधन माना जाता है और शादी के बंधन में बंधने के बाद वर वधु सात जन्मों के लिए एक दुसरे के हो जाते है और उनके बीच बहुत ही खुबसूरत प्यार का रिश्ता जुड़ जाता है और शादी के बाद दो लोग ही नहीं बल्कि दो परिवारों का भी मिलन होता है |
वही हमारे हिन्दू धर्म में विवाह के दौरान कई तरह की रस्मे निभाई जाती है और शादी से पहले ही काफी सारी रस्मे शुरू हो जाती और कुछ रस्मे शादी के बाद भी निभाई जाती है और उन्ही रस्मों में एक एक रस्म होती है बेटियों के बिदाई के समय चावल फेंकने की रस्म और इस रस्म में बेटी जब अपने मायके को छोड़ ससुराल जाती है तब विदाई के समय वो चावल फेकती है और उस चावल के बेटी के माता पिता इस चावल को अपनी झोली में इकठ्ठा कर लेते है और ये रस्म हमारे हिन्दू धर्म के विवाह की बहुत ही प्रचलित रस्म है और इस रस्म का विवाह में काफी महत्व भी है और ये बेहद ही शुभ भी माना जाता है |
आज हम आपको इसी रस्म के बारे में कुछ जरूरी बाते बताने जा रहे है साथी ही इस रस्म के महत्व के बारे में भी हम आपको बताने वाले है तो आइये जानते है बिदाई के समय निभाई जाने वाली इस रस्म का महत्व|
हमारे हिन्दू धर्म की बेटियों को माँ लक्ष्मी का रूप माना जाता है और इसी वजह से जब भी किसी के घर में बेटी का जन्म होता है तब लोग यही कहते है की लक्ष्मी आई है और इसीलिए जब एक बेटी शादी के बाद बाबुल का घर छोड़कर अपने ससुराल जाती है तब वो जाते जाते अपने माँ बाप के झोली में चावल डालती हुई जाती है|
इसका ये महत्व होता है की बीत अपना मायका छोड़कर तो जा रही है पर वो अपने मायके को धन धान्य से भरकर जा रही है और एक बेटी अपना मायका छोड़ने के बाद भी अपने मायके वालों की खुशहाली और सम्पन्नता की दुआ मांगते हुए जाती है और इसी भाव के साथ एक बेटी अपना माँ बाप का घर छोड़कर ससुराल जाती है|
चावल फेकने का एक महत्व ये भी है की शादी के बाद युगल जोड़े को संतान प्राप्ति का सुख मिलता है और भाग्य का साथ सदैव ही मिलता है और ऐसी मान्यता है की चावल फेकने के इस रस्म से मायके और सुसराल दोनों ही जगह सुख सम्पन्नता बनी रहती है |
इसके अलावा विदाई के समय बीत के द्वारा चावल फेंकने का एक वजह ये भी होता है की बेटी जब शादी के बाद अपने ससुराल जाती है तब वो इस रस्म के दौरान अपने माता पिता को धन्यवाद देती है जो की उसे पाल पोसकर इतना बड़ा किये और उसे इतना प्यार और दुलार दिए उर ये रस्म निभाते समय बेटी और उसका पूरा परिवार काफी भावुक हो जाता है |
हमारे हिन्दू संकृति के चावल को मुख्य आहार माना जाता है और धर्म शास्त्रों के अनुसार चावल को शुभता, समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक माना गया है, जो बुराई को दूर करते हैं और यही मुख्य वजह है की हमारे इहंदु धर्म की परंपरा निभाने के लिए एक आदर्श माना गया है।
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