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अंग्रेजो ने खुश होकर नसीरुद्दीन शाह के दादा जी को सौंप दी थी ‘मेरठ की जागीर’, दिया था उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत का साथ

बॉलीवुड के कुछ बेहद मशहूर और उम्दा अभिनेताओं में शामिल रहे इंडस्ट्री के बेहद शानदार और बेहतरीन अभिनेता नसरुद्दीन शाह आज अपनी अनोखी आवाज और दमदार अभिनय से लाखों फैंस के दिलों में एक उनकी एक अलग पहचान बना चुके हैं, और इसी वजह से आज उनके चाहने वालों की संख्या लाखों में मौजूद है| लेकिन, इन दिनों अभिनेता अपनी बायोग्राफी को लेकर काफी खबरों और सुर्खियों में छाए हुए हैं, जिस बारे में अपनी आज की इस पोस्ट में हम बात करने जा रहे हैं|

दरअसल, अपनी बायोग्राफी ‘और एक दिन’ में नसरुद्दीन शाह ने ऐसे कई खुलासे किए हैं, जिनकी वजह से शायद उनकी मुसीबतें बढ़ सकती हैं| पर अभिनेता के मुताबिक, जो सच्चाई है वह उसे लिखने में परहेज नहीं करना चाहते और इसके अतिरिक्त उन्होंने अपनी इस बायोग्राफी को लोगों के लिए या फिर किसी उद्देश्य से भी नहीं लिखा है|

आपको बता दें, अभिनेता ने अपनी बायोग्राफी में खास तौर पर अपने दादा का विस्तृत रूप से जिक्र किया है और बताया है कि किस तरह से अंग्रेजों ने उनके दादा को खुश होकर मेरठ की जागीर सौंपी थी|

बायोग्राफी के मुताबिक, जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ था उसके बाद नसरुद्दीन शाह के माता-पिता ने भारत में ही रहने का फैसला लिया था, और वह भी तब जब सरहद पार उनके पिता की काफी ज्यादा संपत्ति और जायदाद पहले से मौजूद थी| इसके बाद उन्होंने बताया कि उनके पिता की पहले से एक सरकारी नौकरी थी, आर्मी इस नौकरी को छोड़कर वह अपनी जिंदगी की एक नए सिरे से शुरुआत नहीं करना चाहते थे आरटीसी की खातिर उन्होंने आजाद हिंदू देश में रहने का निर्णय लिया था|

आपको शायद यह बात पता होगी पर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह की यह बायोग्राफी तकरीबन 6 साल पहले आई थी| लेकिन, तब से उनकी यह बायोग्राफी सबसे अधिक चर्चाओं में है, जबसे उन्होंने एनआरसी का विरोध किया है और इसके साथ साथ उन्होंने भारतीय मुसलमानों से जुड़ी कई बातों को सामने रखा है|

बताया जाता है कि अभिनेता नसरुद्दीन शाह के पिता मोहम्मद शाह ने अपनी सरकारी नौकरी की शुरुआत नायब तहसीलदार से की थी, और रिश्ते में नसीरुद्दीन शाह के दादा लगने वाले आगा सैयद मोहम्मद शाह मूल रूप से एक अफगानी थे, जो कि पेशे से एक फौजी थे| कुछ रिपोर्ट की मानें तो ऐसा भी बताया जाता है कि जंग-ए-आज़ादी के दौरान अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के पूर्वजों ने भी अंग्रेजों को शिकस्त देने में बड़ा योगदान दिया है|

बताया जाता है कि, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान साले 1857 में उनके दादा अंग्रेजो की तरफ से लड़े थे और ऐसे में जंग में उनकी काबिलियत को देखकर अंग्रेज काफी खुश हुए थे, जिसके बाद उन्होंने मेरठ के करीब एक जागीर उन्हें सौंप दी थी, जिसे सरधना जागीर कहा जाता है|
बताते चलें, अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का जन्म भारत के बाराबंकी में हुआ था और बचपन से ही पिता के साथ उनके रिश्ते इतने अच्छे नहीं थे क्योंकि दोनों की विचारधाराएं एक जैसी नहीं थी| इसके अलावा आपको बता दें कि नसरुद्दीन शाह के पिता उन्हें अभिनय की दुनिया में भी नहीं जाने देना चाहते थे|

Anisha

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