स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने साल 1941 में पहली बार गाना गाकर करोड़ों लोगो को अपनी सुरीली आवाज का दीवाना बना दिया था | लता दीदी एक विराट व्यक्तित्व सिर्फ अपनी सुरीली आवाज के दम पर नहीं बल्कि संतुलित व्यवहार, सरल जीवन शैली और समय की भाषा से भरा जीवन जीकर हासिल किया है| संगीत को लता जी अपनी तपस्या मानती थी और यही वजह है कि स्वर कोकिला लता मंगेशकर सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि समूचे विश्व में अपनी सुरीली आवाज के लिए जानी जाती है|
लता मंगेशकर जी आज हमारे बीच नहीं हैं परंतु उन से जुड़े कई किस्से आए दिन हमें सोशल मीडिया पर जानने को मिलते रहते हैं और आज हम आपको लता मंगेशकर से जुड़ा एक बेहद ही दिलचस्प किस्सा बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैंस्वर कोकिला लता मंगेशकर बीते 6 फरवरी 2022 को इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गई थी | लता जी के गुजर जाने से देश और दुनिया को बहुत बड़ा झटका लगा था |
लता मंगेशकर के वैसे तो दुनिया भर में करोड़ों फैन्स मौजूद है परंतु आज हम आपको वाराणसी के एक साधारण से साड़ी व्यवसायी अरमान के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि लता मंगेशकर जी को अपनी मां मानते हैं और इतना ही नहीं लता जी ने भी हमेशा अरमान को अपने बेटे की तरह स्नेह प्यार दिया था| बता दे साल 2016 में अरमान पहली बार लता जी से मिले थे जब वह उन्हें साड़ी दिखाने के लिए मुंबई गए थे |
अरमान जब पहली बार लता जी से मिले तब उन्होंने देखा कि एक विशाल व्यक्तित्व होने के बावजूद भी लता जी का व्यवहार बेहद सरल था और वह उनके इसी सरल व्यवहार से प्रभावित हो गए और उन्होंने लता जी को अपनी मां का दर्जा दिया |अरमान साल में तीन से चार बार अपनी लता मां के लिए साड़ियां लेकर मुंबई जाते थे और वहां पर लता जी साड़ी खरीदने के बाद उन्हें चेक से पैसों का भुगतान किया करती थी|
परंतु आपको जानकर हैरानी होगी की लता जी जो भी चेक साइन करके अरमान को दिया करती थी उन तमाम चेक को अरमान ने कभी भी कैश नहीं करवाया बल्कि वह लता जी द्वारा दिए गए सभी चेक को लैमिनेट करा कर अपने पास सुरक्षित रख लिया और अब उन्होंने इन सभी चेक को एक स्मारक के रूप में रखा है| अरमान के मुताबिक पूरे 7 सालों में उन्होंने अपनी लता मां को 100 से भी ज्यादा साड़ियां दी थी |
लता जी के गुजर जाने के बाद वाराणसी के साड़ी व्यापारी अरमान और उनका पूरा परिवार को बहुत बड़ा झटका लगा था और अरमान ने हाल ही में मीडिया से बातचीत के दौरान यह बताया कि साल 2016 में लता मंगेशकर जी के भाई ह्रदय नाथ के जरिए वो लता मां से मिले थे और इसके बाद लता माँ हमेशा उनसे साड़ियां मंगवाया करती थी |
अरमान ने बताया कि लता मां को बनारसी साड़ियां बेहद पसंद थी और इस वजह से वह साल में तीन से चार बार साड़ियां मंगवाया करती थी जिसमें से कुछ साड़ियां वह खुद पहनती थी और कुछ साड़ियां उपहार स्वरूप कुछ लोगों को दे दिया करती थी|वही जब जनवरी महीने में लता मंगेशकर जी का स्वास्थ्य काफी बिगड़ने लगा था तब वाराणसी के साड़ी व्यवसाई अरमान ने 20 जनवरी 2022 को वाराणसी के प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ धाम में अपनी लता माँ के स्वास्थ्य में सुधार के लिए रुद्राभिषेक भी करवाया था|
लता जी के इस दुनिया को अलविदा कह जाने के बाद अरमान अपनी लता मां के अंतिम दर्शन के लिए मुंबई भी जाना चाहते थे परंतु कोरोना प्रोटोकॉल के चलते बहुत कम ही लोगों को लता मंगेशकर जी के अंतिम संस्कार में बुलाया गया था और इसी वजह से अरमान मुंबई जाना उचित नहीं समझे हालांकि वो अपने पूरे परिवार के साथ फातिहा पढ़ते हुए अपनी लता मां के लिए दुआ की थी|
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