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कोयले के खदान में काम कर पिता भरते थे परिवार का पेट ,गरीबी को मात देकर उमेशा यादव ने पाई है कामयाबी

भारतीय क्रिकेट टीम में कई ऐसे क्रिकेटर्स मौजूद है जिन्होंने सफलता की बुलंदियों को छूने में काफी संघर्ष और मेहनत किया है | आज हम भारतीय क्रिकेट टीम के एक ऐसे ही तेज गेंदबाज की बात करने जा रहे हैं जो कि आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है और इन्होंने अपनी बेहतरीन खेल प्रदर्शन से भारतीय क्रिकेट टीम सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचाने में अपना अहम योगदान दिया है| दरअसल हम बात करने जा रहे हैं भारतीय क्रिकेट टीम के जाने-माने क्रिकेटर उमेश यादव की जिन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष की बदौलत क्रिकेट की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है |

वर्तमान समय में उमेश यादव भारतीय क्रिकेट टीम के बेहद लोकप्रिय और सफल क्रिकेटर के तौर पर जाने जाते हैं और इनकी लोकप्रियता सिर्फ भारत में नहीं बल्कि दुनिया भर में देखने को मिलती है| उमेश यादव की सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है और क्रिकेटर के फैंस इनकी प्रोफेशनल लाइफ के साथ-साथ इनकी पर्सनल लाइफ के बारे में जानने के लिए भी बेहद उत्साहित रहते हैं| क्रिकेटर उमेश यादव को उनके परिवार वाले बबूल और स्ट्रांग मैन के नाम से भी पुकारते हैं और आज के अपने इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको उमेश यादव के सफरनामें की कहानी बताने जा रहे हैं|

उमेश यादव के लिए भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज बनने तक का सफर आसान नहीं था क्योंकि उमेश यादव एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे और इनके पिता कोयले की खदान में काम किया करते थे परंतु उमेश यादव के सपने बहुत ऊंचे थे और अपने इन्हीं सपनों को साकार करने के लिए उमेश यादव ने कभी हिम्मत नहीं हारी और अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर भारतीय क्रिकेट टीम में खुद को स्थापित किया|

उमेश यादव का जन्म 25 अक्टूबर साल 1987 को नागपुर में एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था| उमेश यादव के पिता मूल रूप से देवरिया के निवासी है परंतु कामकाज के चलते वह अपने परिवार को लेकर नागपुर आ गए जहां पर उमेश यादव का जन्म हुआ था| उमेश यादव के पिता तिलक यादव नागपुर कोलफील्ड्स यानी कि कोयले की खदान में नौकरी किया करते थे और अपने परिवार का पालन पोषण करते थे और वही तिलक यादव हमेशा से यही चाहते थे कि उनके बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और उन्हें कभी भी किसी चीज की दिक्कत ना हो परंतु भर की फाइनेंशियल कंडीशन इतनी अच्छी नहीं थी की वह अपने बच्चों का दाखिला महंगे स्कूल कॉलेज में करवा सके|

उमेश यादव बचपन से ही अच्छी कद काठी के थे और इस वजह से उनके पिता चाहते थे कि सेना के जवान बने और अपने पिता के इच्छा को पूरा करने के लिए उमेश यादव सरकारी नौकरी पाने के लिए खूब मेहनत किए परंतु उनकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था और इस वजह से कई बार कोशिश करने के बाद भी उमेश यादव को सरकारी नौकरी नहीं मिल पाई और तब उमेश यादव ने अपने पिता से अपने क्रिकेटर बनने के सपने के बारे में बताया और पिता ने उन्हें इसके लिए मंजूरी दे दी |

जिसके बाद साल 2008 में उमेश यादव को पहली बार रणजी ट्रॉफी में खेलने का मौका मिला और उन्होंने अपनी जोरदार परफॉर्मेंस से खुद को साबित किया और इसके बाद उमेश यादव की जिंदगी बदल गई और धीरे-धीरे उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम ने भी अपनी जगह बना ली और वर्तमान समय में उमेश यादव भारतीय क्रिकेट टीम के बेहद चर्चित और लोकप्रिय क्रिकेटर बन चुके हैं| वही अपने शानदार खेल प्रदर्शन से उमेश यादव ने ना केवल नाम कमाया बल्कि इन्होंने बेशुमार दौलत भी कमाई है और अब उमेश यादव के घर की फाइनेंसियल कंडीशन में भी सुधार आ गया है और उनका पूरा परिवार खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा है|

Anisha

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