वक्त के साथ बदलाव ही प्रकृति का नियम है और ऐसे में वक्त के साथ हमारी जीवन शैली में भी कई बदलाव आये हैं| आज ऐसे में अपनी इस पोस्ट के जरिये हम आपको ऐसी कुछ वस्तुओं के बारे ने बताने जा रहे हैं जो गुज़रे वक्त में हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा हुआ करती थी पर आज इनमे काफी बदलाव आया है और कई वस्तुएं तो इनमे ऐसी भी है तो अब नजर भी नही आती है|
हालाँकि कैरम का चलन आज भी है पर गुजरते वक्त के साथ और ऑनलाइन गेम्स की वजह से अब कैरम जैसे गेम्स कम खेले जाते है|
आज जहाँ गानों के लिए मोबाइल फोन्स और लपटोप जैसी चीज़े हमारे पास है वहीँ गुज़रे हुए वक्त में कैसेट्स के जरिये गाने सुने जाते थे|
हीरो और एटलस कुछ ऐसे ब्रांड्स थे जिनकी साइकल्स लगभग हर घर में पायी जाती थी|
यह हमारा पहला स्मार्ट गैजेट था जो के काफी हद तक की-बोर्ड जैसा दीखता था|
पहले के वक्त में बच्चे कॉमिक बुक्स के दीवाने हुआ करते थे| तब हमारे पास फेसबुक जैसी चीज़े नही थी|
पहले के वक्त में लिखने के लिए इंक वाली पेंस हुआ करती थी जिनसे कई बार हाथ भी गंदे हो जाते थे|
आज के वक्त जहाँ हम सभी के घरों में डीटीएच की सुविधा है वहीँ दूसरी तरफ एक वो जमाना हुआ करता था जब टीवी देखने के लिए एंटीना घुमा कर सिग्नल लाना पड़ता था|
इन कैमरों से गिनती से तस्वीरें ली जाती थी| आज की तरह नही के मोबाइल से ह्ज़र्रों तस्वीरें|
उस वक्त एक लैंडलाइन फ़ोन ही सहारा था जिससे लोग एक दुसरे से बात कर पाते थे|
उन दिनों बच्चों को जज करने के लिए किताबों के कवर्स को देखा जाता था|
पिज़्ज़ा और बर्गर जो आज हमारी मिल्स का अहम हिस्सा बन चुके है वो उन दिनों बस टीवी पर ही देखने मिलते थे|
घरों में ऐसे स्विच देखने मिलते थे जिन पर कपड़े भी टांग दिए जाते थे|
आज लेटर्स का इस्तेमाल काफी कम हो गया है पर जब पहले होता था तब इन लैटरबॉक्स का काफी अधिक महत्व था|
अलमारी पर स्टिकर्स लगा कर रखना अपने आप में ही एक बड़ा शौक हुआ करता था|
पहले ये छोटी छोटी चाइनीज़ झालरें नही हुआ करती थी| इनकी जगह बल्ब्स से बनी झालर दीपावली पर लगाई जाती थी|
डेकोरेशन के लिए सचिन, द्रविड़ या गांगुली जैसे खिलाड़ियों के पोस्टर्स लगभग हर घर में नजर आते थे|
घरों के मुख्य प्रवेश द्वार पर स्वागतम वाले डोरमैट्स भी काफी चलन में रहते थे|
उन दिनों नॉन स्टिक बर्तनों जैसी कोई चीज़ नही थी| बीएस अगर खाना चिपक कर जल गया तो बर्तन घिस कर धोना ही एकमात्र उपाय था|
पीले वाले इन बल्ब्स से रौशनी काफी कम मिलती थी पर इनसे आने वाला बिल काफी अधिक होता था|
खाना पकाने वाला यह स्टोव पहले के वक्त में हर घर में इस्तेमाल होता था और ये स्टोव कुछ ऐसा रहता था की इसे देखकर ऐसा लगता था मानो अभी फट जायेगा पर जब से गैस सिलिंडर आ गया तब लोग अब स्टोव इस्तेमाल नहीं करते |