हिंदी फिल्म जगत के महानायक कहे जाने वाले दिग्गज बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है| अमिताभ बच्चन की बात करें तो, उनके फिल्मी कैरियर में आज कहीं एक से बढ़कर एक हिट, सुपरहिट और ब्लॉकबस्टर फिल्में शामिल हैं, जिनके दम पर अभिनेता आज लाखों दिलों पर राज करते हैं|

हालांकि, आज अमिताभ बच्चन की उम्र काफी अधिक हो चुकी है, लेकिन इसके बावजूद भी उनकी लोकप्रियता पर इसका कोई भी असर नहीं पड़ा है| जिसका अंदाजा आप सिर्फ इसी बात को देख कर लगा सकते हैं कि आज 79 सालों के होने के बावजूद भी वह फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं|

पर अगर बात करें अमिताभ बच्चन के शुरुआती जीवन की, तो आज उन्होंने जिस मुकाम को हासिल किया है, इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने काफी मेहनत और मशक्कत के साथ काम किया है, और तब जाकर आज अमिताभ बच्चन ने इस दौलत और शोहरत को हासिल किया है| ऐसे में अपनी आज की इस पोस्ट के जरिए हम आपको महानायक अमिताभ बच्चन के जीवन में आए एक ऐसे ही दौर से रूबरू कराने जा रहे हैं, जब अमिताभ बच्चन फिल्म जगत ने अपनी पहचान बना रहे थे…

दरअसल उस वक्त अमिताभ बच्चन के सामने दो रास्ते थे, जिनमें पहला रास्ता नौकरी का था और दूसरा रास्ता पहली फिल्म का स्क्रीन टेस्ट था, और इन दोनों में से अमिताभ बच्चन को किसी एक को चुनाव करना था| उस वक्त अमिताभ बच्चन को इस बात पर फैसला लेना था कि 1600 रुपयों की एक नौकरी करेंगे या फिर मनोज कुमार की फिल्म यादगार में एक छोटे से रोल में काम करेंगे|

उन दिनों मनोज कुमार की फिल्में मिलना अपने आप में ही एक बहुत ही बड़ी बात थी, तो भाई दूसरी तरफ आर्थिक तंगी से गुजर रहे अमिताभ बच्चन के लिए 1600 रुपयों की नौकरी भी महत्वपूर्ण थी| ऐसे में अमिताभ बच्चन ने ना चाहते हुए भी मनोज कुमार की फिल्म के ऑफर को ठुकरा दिया और इसके बाद वह दिल्ली वापस लौट गए| इसके बाद उन्हें फिल्म सात हिंदुस्तानी का ऑफर आया, और अपनी इसी फिल्म के जरिए उन्होंने पहला स्क्रीन टेस्ट दिया|

अमिताभ बच्चन के कैरियर को लेकर उनकी मां काफी परेशान रहती थी और ऐसा बताया जाता है कि उनकी मां नहीं अभिनेत्री नरगिस से उनका पहला स्क्रीन टेस्ट लेने के लिए कहा था| इसके बाद अभिनेत्री नरगिस ने मोहन सहगल से बात की थी, और तब जाकर उन्होंने अमिताभ बच्चन का पहला स्क्रीन टेस्ट लेने का निर्णय लिया था|

अपना पहला स्क्रीन टेस्ट देने के बाद अमिताभ बच्चन दिल्ली छोड़कर मुंबई के लिए रवाना हो गए, और कहीं ना कहीं अमिताभ बच्चन के इस फैसले ने हमेशा के लिए उनकी जिंदगी बदल दी| हालांकि, स्क्रीन टेस्ट के बाद भी अमिताभ बच्चन को फिल्म में काम नहीं मिला

लेकिन, मुंबई पहुंचने के बाद अमिताभ बच्चन के सामने कई अन्य रास्ते भी खुल गए और फिर धीरे-धीरे चीजों को जानने के बाद अमिताभ बच्चन ने खुद ही अपने करियर को बनाने का निर्णय लिया| और अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर अमिताभ बच्चन ने फिल्म इंडस्ट्री से वह सब कुछ हासिल किया, जिसका सपना लिए उन्होंने मुंबई शहर में कदम रखा था|

By Akash