रामानंद सागर द्वारा निर्मित रामायण नें बीते साल लगे लॉकडाउन में लोगों का काफी मनोरंजन किया और इसे देखने के लिए घर के सभी वर्ग के लोग एक साथ भी आये| जहाँ एक तरफ यह घर क्र बडो और बुजुर्गों को उनके गुज़रे वक्त की याद दिला गयी वहीँ बच्चों को भी रामायण की एतिहासिक कहानी काफी पसंद आई| पर आज की हमारी यह पोस्ट किसी शो के निर्माता रामानंद सागर पर होने वाली है जिन्होंने इतिहास की कहानियो की इस तरह की अनूठी रचना की और सभी के दिलों अपनी रामायण को अमर कर गये| पर आज की अपनी इस पोस्ट के जरिये हम आपको इनकी असल जिंदगी के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ इन्होने काफी उतार चढ़ाव झेले हैं|
रामानंद सागर की कहें तो इनकी खुद की जिंदगी बड़ी ही मुश्किलों भरे हालातों से गुज़री| लाहौर के करीब असल गुरु नाम की जगह पर रामानंद सागर जन्मे थे| जानकारी के लिए बता दें के कई दशकों पहले इनके परदादा लाहौर से दूर कश्मीर जाकर बस गये थे|बचपन के दिनों में ये रामानंद सागर के नाम से नही बल्कि चंद्रमौली चोपड़ा के नाम से जाने जाते थे पर इनकी नानी नें जब इन्हें गोद लिया तब इनका नाम उन्होंने रामानंद सागर रख दिया|
उन दिनों रामानंद सागर का परिवार लाहौर के कुछ सबसे धनी और रईस परिवारों में शुमार था पर जब इसी बीच देश का विभाजन हुआ और भारत-पाकिस्तान अलग हुए तो अपना अच्छा ख़ासा कारोबार और प्रॉपर्टी छोड़कर इन्हें कश्मीर आना पड़ा और तब इनके सबसे मुश्किलों भरे दिन शुरू हुए| इन्ही सब के बीच रामानंद सागर नें अपनी माँ को खो दिया और इनके पिता नें दूसरी शादी का फैसला लिया|
आर्थिक तंगी का असर रामानंद सागर की पढाई पर भी होने लगा जिसके चलते उन्हें एक चपरासी की तरह भी काम करना पड़ा था| इन्हें यहाँ से थोड़े ही पैसे मिलते थे जिसके कारण ट्रक क्लीनर से लेकर साबुन बेचने जैसे कई कम किये| रामानंद सागर उन दिनों एक तरफ जहाँ दिन में काम किया करते थे वहीँ रात के वक्त ये अपनी पढाई पूरी करते थे| और धीरे धीरे इन्होने संघर्ष करते हुए ही मुंबई का रुख किया जहाँ इन्हें साइलेंट फिल्म ‘रेडर्स ऑफ द रेल रोड’ में एक क्लैपर बॉय का काम मिला|
इसके बाद पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थिअटर में इन्होने बतौर असिस्टेंट स्टेज मैनेजर काम किया| और उस पद पर काम करते हुए ही राज कपूर की फिल्म ‘बरसात’ के लिए इन्होने स्टोरी लाइन और स्क्रीप्ले भी तैयार की जिसके बाद धीरे धीरे रामानंद सागर काफी मशहूर हो गये और लाखों लोगों की जुबां पर धीरे धीरे इनके चर्चे सुनाई देने लगे| इसके बाद इन्होने रामायण के निर्माण का सपना लेकर खूब मेहनत की और इनकी यह मेहनत रंग लायी|आज रामानंद सागर की ‘रामायण’ को तकरीबन 33 साल हो चुके है पर इसका जादू और क्रेज़ दर्शकों के बीच आज भी देखने को मिलता है|
जहाँ रामानंद सागर की रामायण के बाद कई रामायण के सीरिअल्स आये और गये पर इनके द्वारा बनी इस रामायण का जलवा आज भी कायम है और दर्शक आज भी इसे काफी मन से देखते है|