एशिया के सबसे रईस लोगों की लिस्ट में मुकेश अम्बानी के बाद गौतम अडानी का नाम देखने को मिलता है जो के अडानी ग्रुप के चेयरमैन है| पर हम आपको बता दें के इनके लिए यह मुकाम पाना बेहद ही संघर्षों भरा रहा और इन्होने अपनी जिंदगी के कई उतार चढ़ाव पा करके आज इस मुकाम को हासिल किया है| चीन के झोंग शैनशैन को इस एशिया के सबसे अमीर लोगों की सूची से हटाकर अब गौतम अडानी दोसरे नम्बर पर आ गये है| वहीँ अगर दुनिया के सबसे अमीर लोगों की कहें तो इस सूची में 67.6 अरब डॉलर की कुल संपत्ति के साथ ये 14वें स्थान पर आ चुके हैं|
100 अरब क्लब में शामिल
अडानी ग्रुप में शामिल 6 लिस्टेड कम्पनियों में से 5 ऐसी हैं जिनका मार्किट कैप एक लाख करोड़ रुपयों से ऊपर है| और इसी के साथ अडानी ग्रुप देश का तीसरा ऐसा घराना भी बन चूका है जो के 100 अरब डॉलर से अधिक का मार्केट कैप हासिल कर चूका है| बता दें के अडानी ग्रुप से पहले टाटा ग्रुप इसमें शामिल था| बात करें अगर अडानी ग्रुप के बिजनेस की तो माइंस, पोर्ट्स, पावर प्लांट्स, एयरपोर्ट्स, डेटा सेंटर्स और डिफेंस जैसे तमाम सेक्टर्स तक इनका बिजनेस फैला हुआ है|
चॉल मे रहता था परिवार
24 जून, 1962 को गुजरात के अहमदाबाद में जन्मे गौतम अदानी के अन्य 6 भाई बहन थे और शुरूआती दिनों में अहमदाबाद के पोल इलाके में शेठ चॉल में इनका पूरा परिवार रहा करता था| गुजरात यूनिवर्सिटी में इन्होने बीकॉम पूरा किए बिना ही मुंबई का रुख किया जिसके बाद इनका कारोबारी बनने का सफर शुरू हुआ| बतौर डायमंड सॉर्टर गौतम अडानी नें शुरुआत की जिसके बाद कुछ सालों में ही झवेरी बाजार, मुंबई में इन्होने खुद की डायमंड ब्रोकरेज फर्म की शुरुआत कर दी|
इस सब के कुछ सालों बाद भाई की प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करने ये दोबारा अहमदाबाद पहुच गये| और वहाँ पर इन्होने पीवीसी यानी पॉलिविनाइल क्लोराइड के इम्पोर्ट को शुरू करना शुरू किया और धीरे धीरे ये ग्लोबल ट्रेडिंग में एंट्री कर गये|
1988 में अडानी ग्रुप की शुरुआत
इनके इस पीवीसी इम्पोर्ट में काफी ग्रोथ हुई और वक्त के साथ अडानी ग्रुप पावर और एग्री कमोडिटी को साल 1988 में आधिकारिक तौर पर स्थापित कर दिया गया| साल 1991 में कुछ आर्थिक सुधार किये गये जिसके वजह से अडानी का बिजनस डायवर्सिफाई हो गया और वो एक मल्टीनेशनल बिजनेसमैन के रूप में उभरने लगे| इसके बाद आया साल 1995 जो अडानी ग्रुप के लिए बेहद सफल साबित हुआ, क्योंकि इसी साल इनकी कम्पनी को मुंद्रा पोर्ट संचालित करने का कॉन्ट्रैक्ट मिला।
कारोबार में डायवर्सिफिकेशन करना इन्होने जारी रखा और साल 1996 में अडानी पावर लिमिटेड अस्तित्व भी शामिल हो गया और इस सब के लगभग 10 सैलून बाद पावर जनरेशन बिजनस में कम्पनी नें कदम रखा|
रेल और रक्षा कारोबार पर नजर
अब की कहें तो गौतम अडानी का बिजनेस कई फीलास में फ़ैल चूका है| जहाँ एक तरफ कोल माइनिंग में अडानी ग्रुप देश का सबसे बड़ा कॉन्टैक्ट माइनर बन चूका है वहीँ एफिशिएंसी की सूची में भी ये सबसे उपर है| पोर्ट्स के सेक्टर में मुंद्रा पोर्ट के जरिये इन्होने गजब दर्ज क और धीरे धीरे 6-7 छोटी छोटी रेलवे लाइनों के साथ इन्हों रेलवे ट्रैक मैनेजमेंट की कंपनी भी तैयार कर ली|